इलेक्ट्रिक वाहन क्या है? What is Electric Vehicle? इलेक्ट्रिक वाहन एक ऐसा वाहन होता है जो बैटरी से बिजली/विद्युत लेकर एक या एक से ज्यादा इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा चलता है। इलेक्ट्रिक वाहन में आंतरिक दहन इंजन की जगह इलेक्ट्रिक मोटर होती है। विद्युत वाहन में मोटर को पावर / शक्ति देने के लिए एक बड़े ट्रैक्शन बैटरी का उपयोग किया जाता है और इसे आउटलेट या चार्जिंग उपकरण में लगाया जाता है, इसे विद्युत वाहन आपूर्ति उपकरण भी कहा जाता है।
EV के चलने की लगत कम होती है क्योंकि इनके अंदर पेट्रोल / डीज़ल से चलने वाले इंजन की तुलना में काम चलने वाले हिस्से होते हैं। ये वाहन पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं क्योंकि इनसे किसी प्रकार का धुँआ नहीं निकलता हैं। कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों में लेड एसिड बैटरी का उपयोग किया जाता है, आधुनिक वाहनों में लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता हैं जो की एक आदर्श बैटरी होती है तथा इनकी उम्र भी लम्बी होती है। घर पर इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने का खर्चा लगभग 805 रुपये ही आता है।
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इलेक्ट्रिक वाहन क्या है? What is Electric Vehicle?
विद्युत वाहनों को चलने के लिए इनकी बैटरी को चार्ज किया जाता है, जो की रिचार्जेबल होती है इसका मतलब इसे बार-2 चार्ज करके काम में ले सकते हैं। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए चार्ज पॉइंट में प्लग लगा कर चार्ज किया जाता है। यह बैटरी इलेक्ट्रिक मोटर को चलने के लिए शक्ति प्रदान करती है। इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक ईंधन वाले इंजन वाहनों की तुलना में तेजी से गति करते हैं, इसलिए ये चलाने में हल्के महसूस होते हैं।
इलेक्ट्रिक व्हीकल कैसे काम करता है? Working of Electric Vehicle
हम सभी नें पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों का अनुभव तो किया ही है। एक ऐसा दौर जा चूका था जब इलेक्ट्रिक गाडियां चलायी जाती थी। पर पृथ्वी की प्रदूषण की मजबूरी के वजह से यह EV का दौर वापस आ रहा है। जिसने इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाले व्हीकल गाड़ियों को नहीं देखा हो, तो उसके मन में सवाल उठना लाजमी है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल EV कैसे काम करता है?
दोस्तों Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV बिजली से चार्ज होकर चलता है। इनमें इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटर, इलेक्ट्रिक बाइक और कोई भी Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV को चलाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी (बिजली) का इस्तेमाल किया जाता है।
हम सबनें इलेक्ट्रिसिटी (बिजली) से चलने वाले कई मशीनें हमारे घरों में देखे होंगे। खासकर इंडस्ट्रीज की मशीनें हमेशा इलेक्ट्रिक से चलते हुए देखा है। हम अपने घरों की बात करे तो, हमारे घेरों में चलने वाला सीलिंग फैन, या इलेक्ट्रिक मोटर से चलने वाली आटा चक्की आदि Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV बिजली से चलती हैं। एक इलेक्ट्रिक पॉवर को मैकेनिकल ऊर्जा में कन्वर्ट करता है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल के कार्य सिद्धान्त Working Principle of Electric Vehicle
Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV की वर्किंग पद्धति अन्य व्हीकल से बहुत आसान होता है। यहाँ इलेक्ट्रिक ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में बदल दिया जाता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ईंधन की रूप में इलेक्ट्रिसिटी यानि बिजली का प्रयोग होता है। इलेक्ट्रिसिटी (बिजली) के लिए लीथियम आयरन बैटरी का प्रयोग किया जाता है। ऐसी ही बैटरी का इस्तेमाल हमारे मोबाइलों में भी किया जाता है।
ये बैटरी हमें DC करंट सप्लाई करती है। इस DC करंट की सप्लाई AC करंट में कन्वर्ट करने के लिए एक इन्वर्टर का इस्तेमाल किया जाता है। जैसा इन्वर्टर हमारे घरों में होता है वैसा ही काम इस इन्वर्टर का भी होता है। Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV बैटरी की क्षमता के आधार पर चलता है। Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV कितने किलो मीटर चलेगी ये बैटरी कैपेसिटी पर निर्भर होता है। इसमें लगने वाली यह बैटरी रिचार्जेबल होती है। यह बैटरी डिस्चार्ज होने के बाद इसे चार्ज करके दुबारा उपयोग किया जाता है।
इन्वर्टर से निकलने वाली AC करंट की सप्लाई 3 फेज मोटर को दिया जाता है और मोटर घूमती है। Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV में इंजन की स्थान पर मोटर और डीजल या पेट्रोल के स्थान पर बैटरी (बिजली) का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल के मुख्य भाग (Main Parts of Electric Vehicle)
गाड़ियों की संरचना बहुत ही जोरदार होती है। अगर हम पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बात करें तो, ये गाड़ियों को जानना बहुत ही आसान है। इन गाड़ियों को समझने के लिए इनके मुख्य भागों को समझना आवश्यक है। यहाँ नीचे इलेक्ट्रिक व्हीकल EV के मुख्य भागों के बारे में दिया गया है।
बैटरी (Battery)
इलेक्ट्रिक गाड़ियों EV में बैटरी एक दिल के सामान होता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों EV का पूरा लोड बैटरी पर ही रहता है। एक तरह से बैटरी इलेक्ट्रिक कारों का ईंधन होता है। इसमें लगने वाली यह बैटरी रिचार्जेबल होती है। यह बैटरी डिस्चार्ज होने के बाद इसे चार्ज करके दुबारा उपयोग किया जाता है। इन बैटरियों में लेड एसिड और लिथियम आयरन का इस्तेमाल होता है। अधिकतर बैटरियाँ लिथियम आयरन की बनी होती हैं। इसकी क्षमता अधिक और अच्छी होती है और इनकी लाइफ भी अच्छी होती है।
बैटरी का मुख्य कार्य इलेक्ट्रिक मोटर को पॉवर देकर चलाना होता है। साथ ही गाड़ियों के सिग्नल, साइड लाइट और अन्य फक्शन के लिए इलेक्ट्रिक सप्लाई को पूरा करना होता है। चार्जिंग डिस्चार्जिंग होने के दौरान बैटरी अधिक गर्म हो जाती है। बैटरियों की इस गर्मी को दूर करने के लिए गैसोलीन का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रिक मोटर (Electric Motor)
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में 3 फेज मोटर का इस्तेमाल होता है। एक सामान्य मोटर को हम सबने देखा होगा। जिसे इलेक्ट्रिसिटी (बिजली) से चलाया जाता है। मोटर इलेक्ट्रिक ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में बदलता है।
यहाँ 3 फेज मोटर AC सप्लाई से चलयी जाती है। इस मोटर की स्पीड लगभग 18000 RPM तक होती है। यह मोटर इलेक्ट्रिक गाड़ियों को गति प्रदान करती है। मोटर की छमता जितनी अधिक होती है, उतना ही अधिक गाड़ी का टॉर्क होता है। परंतु इसमें बिजली की खपत भी अधिक होती है।
इन्वर्टर (Inverter)
इलेक्ट्रिक गाड़ियों EV में इन्वर्टर का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है। जैसा इन्वर्टर हमारे घरों में होता है वैसा ही काम इस इन्वर्टर का भी होता है। बैटरी से प्राप्त इलेक्ट्रिसिटी DC करंट होता है। और हमें AC करंट 3 फेज मोटर को चलाना होता है, तो DC करंट सप्लाई को AC करंट में बदलना पड़ता है।
इन्वर्टर का मुख्य कार्य DC करंट को AC करंट में रूपांतर करता है। इन्वर्टर में बैटरियों का इनपुट दिया जाता है। तथा आउटपुट गाड़ियों की मोटर और अन्य जगह में प्रयोग होता है। इन्वर्टर सप्लाई की तीव्रता को भी कण्ट्रोल करता है। जिसके कारण मोटर की स्पीड कम और ज्यादा हो पाती है।
चार्जिंग पॉइंट (Charging Point)
सभी EV इलेक्ट्रिक स्कूटर या कार, हर एक इलेक्ट्रिक व्हीकल EV में एक चार्जिंग पॉइंट जरूर होता है। इस चार्जिंग पॉइंट से गाड़ियों की बैटरी चार्ज होती है। चार्जिंग पॉइंट बाहर के पावर सप्लाई के साथ प्लग से जोड़ा जाता है जिससे बैटरियाँ चार्ज होती है। बैटरियों को चार्ज रखना एक जरुरी प्रक्रिया होती है। इसीलिए चार्जिंग पॉइंट का इस्तेमाल लगभग रोज करना होता है।
बैटरी मेनेजमेंट सिस्टम {Battery Management System (BMS)}
इलेक्ट्रिक व्हीकल EV की सबसे बड़ी समस्या को दूर करने वाला भाग बैटरी मेनेजमेंट सिस्टम Battery Management System (BMS) होता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों EV में बहुत सारे बैटरी सेल्स का इस्तेमाल होता है। इनकी चार्जिंग और डिस्चार्जिंग की प्रक्रिया चलती रहती है। बैटरी सेल्स के चार्जिंग और डिस्चार्जिंग की प्रक्रिया के दौरान वोल्टेज और करंट का स्थिर रहना जरुरी होता है।
बैटरी के सभी सेल्स एक साथ चार्ज और डिस्चार्ज होना जरुरी होता है। बैटरी की UN बराबर चार्जिंग प्रक्रिया से बैटरी बहुत जल्दी खराब होती है। बैटरी मेनेजमेंट सिस्टम Battery Management System (BMS) इन सभी प्रक्रियाओं को मैनेज करता है। चार्जिंग डिस्चार्जिंग की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है। शरुआत में यह एक बड़ी समस्या थी जिसे बैटरी मेनेजमेंट सिस्टम Battery Management System (BMS) द्वारा दूर किया गया।
पॉवर कंट्रोल यूनिट {Power Control Unit (PCU)}
इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle में सबसे खास काम पावर कण्ट्रोल यूनिट का होता है। (PCU) एक इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle के माइंड का काम करता है, और इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle के नियत्रण का काम भी करता है। इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle के कण्ट्रोल की पूरी जिम्मेदारी (PCU) की होती है। इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle की स्पीड, बैटरी, सेफ्टी और RPM जैसे सभी पैरामीटर हमें (PCU) से मिलते हैं। बैटरी की चार्जिंग डिस्चार्जिंग की प्रक्रिया भी हमें (PCU) के द्वारा पता चलता है। मोटर का कितना आउटपुट मिलता है, यह हमें (PCU) से ही पता चलता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों की सुरक्षा के सिग्नल भी हमें (PCU) से मिलता है।
रिजनरेटिव ब्रेकिंग यूनिट (Regenerative Breaking Unit)
रिजनरेटिव ब्रेकिंग यूनिट Regenerative Breaking Unit इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle को रोकने के लिए होता है। यह रिजनरेटिव ब्रेकिंग यूनिट Regenerative Breaking Unit सिस्टम की एक खासियत यह होती है कि, जब हम ब्रेक लगाते हैं तब इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है, और यह इलेक्ट्रिसिटी से भी बैटरी चार्ज हो जाती है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle में जब ब्रेक लगाते है, तो इलेक्ट्रिक सप्लाई कट जाता है। पर काइनेटिक एनर्जी के कारण मैकेनिकल ऊर्जा मिलती है। इसीलिए मोटर भी जनरेटर की तरह ही काम करने लगती है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इतिहास – History of Electric Vehicle
बिजली ने मानव जीवन के लिए एक IMPORTENT ईंधन के रूप में अपनी जगह बना ली है। बैंजामिन फ्रेंक्लिन ने बिजली के अविष्कार से दुनिया को एक बड़ा गिफ्ट दिया था। आज भी कई क्षेत्रों में बढ़ती टेक्नोलॉजी बिना इलेक्ट्रिसिटी पॉवर के संभव नहीं होती है।
बिजली के अविष्कार के बाद सन 1832 में स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक रोबर्ट एंडर्सन ने किया था। इसके बाद 18 वी सदी के अंत और 19 वि सदी के स्टार्टिंग में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का क्रेज बढ़ने लगा। 18 वी सदी के अंत में इलेक्ट्रिक की गाड़ियां बनायी गयी थी, जिन गाड़ियों की स्पीड 100 किलोमीटर/घंटे होती थी। जिनमे केमिल जेनान्जी की जमेस कंटेंट गाड़ियां भी शामिल हैं।
19 वी सदी के स्टार्टिंग में इलेक्ट्रिक गाड़ियां काफी फेमस हुए थे। इसमें इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माता ने भी अधिक दिलचस्पी दिखाई थी। सन 1900 से सन 1920 का समय इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए कॉम्पिटिशन का रहा था। एक तरफ ईंधन (तेल, गैस आदि) से चलने वाली गाड़िया थी दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ियां थी।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में शोर नहीं होता था, प्रदूषण भी नहीं होता था, पर ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक कार की कीमत बहुत अधिक होती थी। बिजली की सप्लाई भी नहीं हो पा रही थी। करंट लगने का भी खतरा रहता था। पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों के लिए ईंधन आसानी से उपलब्ध हो जाता था। पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों में समय की भी बचत होती थी इसीलिए, लोगो का इंट्रेस्ट पेट्रोल और डीजल की गाड़िओ की तरफ ज्यादा रहने लगा।
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सन 1912 में सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियां सन 1925 के बाद समाप्त होने लगी थी। और आज फिर से एक बार दुनिया इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ बढ़ रही है। आज के समय में दुनियाँ के पास ईंधन के रूप में इलेक्ट्रिसिटी से बेहतर उपाय नहीं है। आज दुनियाँ का हर एक देश Electric Vehicle इलेक्ट्रिक व्हीकल EV की तरफ आगे बढ़ रहा है।
प्रारंभिक विकास
इलेक्ट्रिक वाहन का इतिहास 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में मिलता है। पहला इलेक्ट्रिक वाहन 1828 में हंगरी के इंजीनियर Ányos Jedlik द्वारा बनाया गया था, जिसने एक छोटी इलेक्ट्रिक मोटर और एक वाहन का प्रोटोटाइप तैयार किया। इसके बाद, 1835 में, डच प्रोफेसर Sibrandus Stratingh ने पहली बार एक छोटी इलेक्ट्रिक कार का निर्माण किया। 1890 के दशक में, इलेक्ट्रिक वाहन अमेरिका और यूरोप में लोकप्रिय होने लगे, जब चार्जेबल बैटरी तकनीक विकसित की गई।
20वीं सदी में गिरावट
20वीं सदी के शुरुआत में, इलेक्ट्रिक वाहन अपने चरम पर थे, लेकिन आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों के विकास के साथ, उनकी लोकप्रियता कम हो गई। पेट्रोल और डीजल इंजन वाहनों की रेंज अधिक थी और ये चार्जिंग के मुकाबले ईंधन भरने में कम समय लेते थे। इसके परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रिक वाहन धीरे-धीरे गायब हो गए और ICE वाहन प्रमुख बन गए।
पुनर्जागरण
21वीं सदी की शुरुआत में, पर्यावरणीय चिंताओं, तेल की कीमतों में वृद्धि, और तकनीकी प्रगति के कारण इलेक्ट्रिक वाहन फिर से सामने आए। टेस्ला जैसी कंपनियों ने आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास किया, जिसने पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ावा दिया। बैटरी तकनीक में सुधार, सरकारी प्रोत्साहन, और शून्य उत्सर्जन नीतियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को फिर से मुख्यधारा में ला दिया।
इलेक्ट्रिक वाहनों को कैसे चार्ज करें
आप अपने विद्युत वाहन को किसी सार्वजानिक चार्जिंग स्टेशन पर या फिर अपने घर पर भी चार्ज कर सकते हैं। UK के आस-पास बहुत सारे चार्जिंग स्टेशन हैं जो आपके बाहर रहने के दौरान पूरी तरह चार्ज रहने के लिए हैं। लेकिन घर पर चार्जिंग के लिए सही EV बिजली टैरिफ प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, ताकि आपके वाहन को चार्ज करने में काम खर्च हो और आप अपने बिल पर अधिक बचत कर सकें।
इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए तीन प्रकार के चार्जर होते हैं:-
तीन पिन प्लग EV चार्जर :-
यह एक थ्री पिन प्लग है जिसे आप किसी भी 13 एम्पियर के सॉकेट से जोड़ दसकते हैं।
सॉकेटेड EV चार्जर :-
यह एक चार्ज पॉइंट है जिसमे टाइप 1 या टाइप 2 केबल को कनेक्ट कर सकते हैं।
टेथर्ड EV चार्जर :-
यह एक चार्ज पॉइंट है जिसमे टाइप 1 या टाइप 2 कनेक्टर से जुडी केबल होती है।
इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने में कितना समय लगता है?
एक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए सामान्य चार्जिंग समय 30 मिनट से लेकर 12 घंटे तक हो सकता है।
यह सब चार्जिंग स्टेशन कि गति और बैटरी के आकर पर निर्भर करता है।
इलेक्ट्रिक वाहन की चार्जिंग की गति 3 प्रकार की होती है:-
धीमी:-
आमतौर पर 3 kW तक होती है।
अक्सर रातभर या कार्यस्थल पर चार्ज किया जाता है।
इसका चार्जिंग समय 8-10 घंटे होता है।
तेज:-
आमतौर पर 7 kW या 22 kW पर रेट किया जाता है।
EV पार्क, सुपरमार्केट, ऑफ स्ट्रीट पार्किग वाले घरों में लगा होता है।
इसका चार्जिंग समय 3-4 घंटे होता है।
रैपिड:-
आमतौर पर 43 kW से रेट किया जाता है।
इसका चार्जिंग समय 30-60 मिनट होता है।
एक बार फुल चार्ज करने पर कितनी दूर यात्रा कर सकते हैं?
किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन की रेंज उसकी बैटरी के आकार (kWh) पर निर्भर करती है।
इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी जितनी अधिक kWh की होगी आप उतनी ही ज्यादा दूर तक यात्रा कर सकते हैं।
यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कुछ इलेक्ट्रिक कार कितनी दूर तक यात्रा कर सकती हैं:-
Hyundai Kona Electric – range 400 km
Jaguar I-Pace – range 350 km
Volkswagen E-Golf – 200 km
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार :-
इलेक्ट्रिक वाहन पांच प्रकार के होते हैं :-
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (Battery Electric Vehicle – BEV)
परिचय:
बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन पूरी तरह से बैटरी पर निर्भर होते हैं। ये वाहन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होते हैं और इनमें कोई आंतरिक दहन इंजन नहीं होता। ये वाहन चार्जिंग स्टेशन से चार्ज किए जाते हैं और शून्य उत्सर्जन करते हैं।
तकनीकी विवरण:
- बैटरी: लिथियम-आयन बैटरी सबसे आम प्रकार की बैटरी होती है, जो BEV में उपयोग की जाती है। ये बैटरी हल्की होती हैं, अधिक ऊर्जा घनत्व प्रदान करती हैं और अपेक्षाकृत लंबी अवधि तक चल सकती हैं।
- मोटर: इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है, जो बैटरी से बिजली प्राप्त करती है।
- चार्जिंग: ये वाहन होम चार्जिंग यूनिट्स, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, और फास्ट चार्जिंग विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं।
उदाहरण:
- टेस्ला मॉडल S
- निसान लीफ
- शेवरले बोल्ट EV
लाभ:
- शून्य उत्सर्जन: BEV चलाने के दौरान कोई प्रदूषण नहीं करता है।
- कम परिचालन लागत: पेट्रोल या डीजल की तुलना में बिजली की लागत कम होती है।
- शांत संचालन: BEV में कोई इंजन शोर नहीं होता है, जिससे वाहन चलाने का अनुभव शांतिपूर्ण होता है।
चुनौतियाँ:
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: कई क्षेत्रों में पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन नहीं होते हैं।
- रेंज: बैटरी की क्षमता के अनुसार वाहन की दूरी सीमित हो सकती है।
- प्रारंभिक लागत: BEV की प्रारंभिक लागत अधिक हो सकती है।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (Plug-in Hybrid Electric Vehicle – PHEV)
परिचय:
प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी और पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन दोनों का उपयोग करते हैं। ये वाहन बैटरी से संचालित हो सकते हैं और जब बैटरी खत्म हो जाती है, तो इंजन स्वचालित रूप से चालू हो जाता है।
तकनीकी विवरण:
- बैटरी और इंजन: PHEV में एक बैटरी होती है जिसे चार्ज किया जा सकता है और साथ ही एक इंजन होता है जो बैटरी को चार्ज कर सकता है और वाहन को चलाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
- चार्जिंग: ये वाहन बैटरी को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन का उपयोग कर सकते हैं, और इंजन का उपयोग तब किया जाता है जब बैटरी की ऊर्जा खत्म हो जाती है।
उदाहरण:
- टोयोटा प्रियस प्लग-इन हाइब्रिड
- मित्सुबिशी आउटलैंडर PHEV
- बीएमडब्ल्यू 330e
लाभ:
- रेंज: PHEV की रेंज अधिक होती है क्योंकि ये बैटरी और इंजन दोनों का उपयोग कर सकते हैं।
- फ्लेक्सिबिलिटी: चालक बैटरी या इंजन का उपयोग करने के लिए चुन सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक नियंत्रण मिलता है।
- उत्सर्जन: PHEV चलाने के दौरान बैटरी का उपयोग करके शून्य उत्सर्जन प्राप्त कर सकते हैं।
चुनौतियाँ:
- जटिलता: PHEV का डिज़ाइन BEV की तुलना में अधिक जटिल होता है।
- रखरखाव: इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों की देखभाल की आवश्यकता होती है।
- प्रारंभिक लागत: PHEV की कीमत BEV और पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक हो सकती है।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (Hybrid Electric Vehicle – HEV)
परिचय:
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी और इंजन दोनों का उपयोग करते हैं, लेकिन इन्हें चार्जिंग स्टेशन से चार्ज नहीं किया जा सकता। HEV में बैटरी का उपयोग आंशिक रूप से वाहन की दक्षता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
तकनीकी विवरण:
- बैटरी और इंजन: HEV में एक छोटा बैटरी पैक होता है जो इंजन के साथ काम करता है। इंजन बैटरी को चार्ज करता है और बैटरी वाहन को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करती है।
- चार्जिंग: HEV को चार्जिंग स्टेशन से चार्ज नहीं किया जा सकता। बैटरी को इंजन और ब्रेकिंग से उत्पन्न ऊर्जा से चार्ज किया जाता है।
उदाहरण:
- टोयोटा प्रियस (स्टैंडर्ड हाइब्रिड)
- होंडा सिविक हाइब्रिड
- फोर्ड फ्यूजन हाइब्रिड
लाभ:
- ईंधन दक्षता: HEV ईंधन की खपत को कम करते हैं और बेहतर माइलेज प्रदान करते हैं।
- कम उत्सर्जन: HEV पारंपरिक इंजन वाहनों की तुलना में कम उत्सर्जन करते हैं।
- लागत: HEV की प्रारंभिक लागत BEV और PHEV की तुलना में कम हो सकती है।
चुनौतियाँ:
- जटिलता: HEV का डिज़ाइन PHEV की तुलना में कम जटिल है, लेकिन फिर भी पारंपरिक वाहनों से अधिक जटिल है।
- सीमित इलेक्ट्रिक रेंज: HEV में बैटरी की क्षमता सीमित होती है, जिससे इलेक्ट्रिक रेंज कम होती है।
- उत्सर्जन: PHEV और BEV की तुलना में HEV में उत्सर्जन अधिक हो सकता है।
- फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (Fuel Cell Electric Vehicle – FCEV)
परिचय:
फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन हाइड्रोजन फ्यूल सेल से बिजली उत्पन्न करके चलते हैं। ये वाहन शून्य उत्सर्जन करते हैं और केवल पानी बाहर निकलता है।
तकनीकी विवरण:
- फ्यूल सेल: FCEV में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है। यह बिजली इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति प्रदान करती है।
- उत्सर्जन: FCEV चलाने के दौरान केवल पानी का उत्सर्जन होता है, जिससे ये वाहन पर्यावरण के लिए लाभकारी होते हैं।
उदाहरण:
- टोयोटा मिराई
- ह्युंडई नेक्सो
- होंडा क्लैरिटी
लाभ:
- शून्य उत्सर्जन: FCEV चलाने के दौरान केवल पानी का उत्सर्जन होता है।
- रेंज: FCEV की रेंज अधिक होती है और इन्हें जल्दी से रिफ्यूल किया जा सकता है।
- शांति: FCEV चलाने का अनुभव बहुत शांत होता है, क्योंकि इसमें कोई इंजन नहीं होता।
चुनौतियाँ:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन बहुत कम होते हैं, जिससे FCEV का उपयोग सीमित हो सकता है।
- लागत: FCEV की प्रारंभिक लागत और हाइड्रोजन उत्पादन की लागत अधिक हो सकती है।
- जटिलता: FCEV का डिज़ाइन और तकनीक जटिल होती है, जिससे इसके रखरखाव में चुनौती हो सकती है।
- रेंज एक्सटेंडर इलेक्ट्रिक वाहन (Range Extender Electric Vehicle – REEV)
परिचय:
रेंज एक्सटेंडर इलेक्ट्रिक वाहन मुख्य रूप से बैटरी से चलते हैं, लेकिन इनमें एक छोटा पेट्रोल इंजन भी होता है जो बैटरी को चार्ज करता है जब बैटरी की ऊर्जा कम हो जाती है।
तकनीकी विवरण:
- बैटरी और इंजन: REEV में बैटरी मुख्य ऊर्जा स्रोत होती है, और इंजन का उपयोग केवल बैटरी को चार्ज करने के लिए किया जाता है।
- चार्जिंग: REEV को चार्जिंग स्टेशन से चार्ज किया जा सकता है, और इंजन तब उपयोग में आता है जब बैटरी की ऊर्जा खत्म हो जाती है।
उदाहरण:
- बीएमडब्ल्यू i3 रेंज एक्सटेंडर
- शेवरले वोल्ट
- निसान ई-NV200
लाभ:
- रेंज: REEV की रेंज अधिक होती है क्योंकि इसमें बैटरी और इंजन दोनों का उपयोग किया जाता है।
- शून्य उत्सर्जन: REEV बैटरी का उपयोग करके शून्य उत्सर्जन प्राप्त कर सकते हैं।
- फ्लेक्सिबिलिटी: चालक बैटरी या इंजन का उपयोग करने के लिए चुन सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक नियंत्रण मिलता है।
चुनौतियाँ:
- जटिलता: REEV का डिज़ाइन BEV की तुलना में अधिक जटिल होता है।
- रखरखाव: इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों की देखभाल की आवश्यकता होती है।
- प्रारंभिक लागत: REEV की कीमत BEV और पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक हो सकती है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ (Advantage of Electric Vehicles)
- इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle में सबसे बड़ा लाभ यह है ये प्रदूषण को कम करता है। आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से जूझ रहा है। धीरे धीरे प्रदूषण की मात्रा इतनी बढ़ रही है की, आने वाले समय में मानव का जीवन मुश्किल हो जायेगा।
- प्रदूषण कम करने में इलेक्ट्रिक व्हीकल बहुत बड़ा रोल निभाती हैं।
- यातायात खर्च बहुत कम होती है। पेट्रोल और डीजल की तुलना में EV में ये खर्चा बहुत कम हो जाता है। पेट्रोल और डीजल के दाम अधिक तथा बिजली सस्ता पड़ता है।
- जहां आज पेट्रोल गाड़ी की यातायात खर्च 5 से लेकर 15 रुपये तक है, वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियों में 1 रुपये से भी कम यातायात खर्च रहती है।
- इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बहुत कम मैंटेनैंस खर्च रहता है, इसमें इंजन नहीं होता है, लगभग जीरो मैंटेनैंस कहा जा सकता है।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल EV में पॉवर व्यर्थ नहीं होती, इंजन की तुलना में एनर्जी व्यर्थ बहुत कम होता है।
- इलेक्ट्रिक मोटर में अक्सेलरेशन टाइम बहुत कम होता है, यानि कि स्टार्टिंग टॉर्क ज्यादा होता है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के रखरखाव और ईंधन की बचत कम आय वाले उन परिवारों के लिए काफी संभावित लाभ प्रदान करती है, जो कि संपन्न परिवारों की तुलना में ईंधन पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। 2020 में उपभोक्ता रिपोर्ट का अनुमान है कि एक पारंपरिक वाहन के मालिक की तुलना में EV के मालिक होने की लागत प्रत्येक 15,000 मील की दूरी के किये US$800 से US$1300 (59393 रूपए से ₹96514 रूपए) कम है।
- इलेक्ट्रिक वाहन में पारंपरिक वाहनों की तुलना में बहुत कम चलने वाले हिस्से होते हैं क्योंकि उनकी शक्ति बैटरी से आती है, आंतरिक दहन इंजन से नहीं। नतीजन उन्हें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिससे ड्राइवरों का समय, पैसे की बचत तथा तनाव कम होता है।
- उपभोक्ता रिपोर्टों के अनुमान है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों को पारंपरिक वाहनों की तुलना में वाहन के जीवनकाल में मरम्मत और रखरखाव के लिए लगभग 3,41500 रुपये कम खर्च होते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों के नुकसान (Disadvantage of Electric Vehicles)
- इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle का सबसे बड़ा नुकसान है इसकी माइलेज। एक सिंगल चार्जिंग के बाद इसकी माइलेज कैपेसिटी कम होती है। इसीलिए, लम्बी यात्रा पर ले जाना सही नहीं होता। आज हर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियॉं इस विषय पर काम कर रही है।
- बैटरी को चार्ज करने में ज्यादा समय लगता है। और आज किसी के पास भी समय नहीं है। ऐसे में घंटो तक चार्जिंग के लिए वेट करना ठीक नहीं होता। पर अच्छी बात ये है कि फ़ास्ट चार्जिंग से यह समय 6 घंटे की जगह 1 घंटे हो गयी है।
- इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी की कॉस्ट सबसे ज्यादा है। आमतौर पर बैटरी की लाइफ 3 साल से 5 साल तक होती है। बैटरी बदलने की कीमत ज्यादा होने से एक बड़ा बोझ पड़ता है। इसमें भी हर कम्पनी की R. & D. टीम बैटरी की लाइफ इन्क्रीज करने के काम में लगी हुई है।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle की कीमत बहुत ज्यादा होती है। गाड़ियां लेना हर किसी के लिए सपना होता है।
- पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक व्हीकल Electric Vehicle की कीमत बहुत ज्यादा होती है। पेट्रोल कार से लगभग डबल कीमत हो सकती है। इसमें सरकार भी सब्सिडी देकर गैप को कम करने की कोशिस कर रही है।
- हमारे देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं है, सभी जगह चार्जिंग स्टेशन अभी बने नहीं हैं। हर एक राज्य की सरकार ने शरुआत की है पर इसपे फ़ास्ट काम होना जरुरी है।
लोगों के मन संशय डालने वाले कुछ सवाल
बैटरी डिस्चार्ज होने पर क्या होगा?
इस सवाल को बहुत से लोगों के मन मे दर रहता है कि अगर बीच मे रास्ते मे ही हमारी गाड़ी की बैटरी खत्म हो गई तो क्या होगा। इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को इस बात को समझना होगा कि उनका मकसद क्या है ऐसे मे अगर आपको रोजाना 60 से 70 किलोमीटर तक ही सफर करना पड़ता है तो ऐसे मे आपको बैटरी खत्म होने की चिंता नहीं करनी चाहिए।
लेकिन जल्द ही मार्केट मे आपको ऐसे गाड़िया भी देखने को मिलेगी जिससे आप लंबी दूरी भी तय कर सकोगे। यही कारण है कि आज मे समय मे ज्यादातर कॉम्पनिया टू-व्हीलर ईवी को 80 से 100 किमी और कारों को 300 से 500 किमी तक की रेंज तय करने वाली गाड़ियों को बनाने पर फोकस कर रही है।
All Electric Cars From Tata Motors |
इलेक्ट्रिक व्हीकल की लाइफ बढ़ाने के तरीके ?
इलेक्ट्रिक वाहनों मे बैटरी और मोटर ही दो महत्वपूर्ण पार्ट्स होते है वर्तमान मे ज्यादातर कंपनियां वाहनों के लिए IP6 रेटिंग वाली बैटरी बना रही है यानि कि इन बैटरियों का डस्ट और नमी से कुछ फर्क नहीं पड़ता और बारिश से बचने के लिए इन्हे वाटरप्रूफ बनाया जा रहा है | जब आप वाहन लेते हो तो कॉम्पनीया ग्राहकों को बैटरी पर पाँच साल या 1 लाख किलोमीटर तक की वारंटी देती हैं।
और इन गाड़ियों मे मेन्टीनेंस करना की जरूरत भी बहुत कम होती है इसके अलावा इन वाहनों का बैटरी समय बढ़ाने का सबसे अहम तरीका यह है कि इन्हे बार-बार चार्जिंग से बचें। ओवरचार्ज होने से भी बचाएं। और रात मे बैटरी को चार्जिंग पर लगाकर न छोड़े।
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि कैसे की जाए?
वैश्विक ऑटो उद्योग ने गैस और डीज़ल से चलने वाली कारों से इलेक्ट्रिक वाहनों में ऐतिहासिक बदलाव शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति बिडेन की बुनियादी ढाँचा योजना इलेक्ट्रिक ग्रिड को आधुनिक बनाने और 500,000 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए अरबों डॉलर का अनुरोध करके इस कार्य को तेज करने का प्रयास कर रही है।
सूत्रों के अनुसार कई लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि उपभोक्ता सर्वेक्षण में शामिल 71 प्रतिशत ड्राइवरों ने कहा कि वे इलेक्ट्रिक कार खरीदने में रुचि रखते हैं। लेकिन 48 प्रतिशत ने कहा कि सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की कमी उन्हें रोक रही है और 43 प्रतिशत ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत ज्यादा होने से वे नहीं खरीद सकते हैं।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियां
कार (Car)
कंपनी | मॉडल | रेंज | कीमत |
टाटा | नेक्सॉन EV | 312 किमी | 14 लाख रुपये |
टाटा | टिगोर EV | 142 किमी | 9.55 लाख रुपये |
हुंडई | कोना | 452 किमी | 24 लाख रुपये |
एमजी मोटर | ZS EV | 340 किमी | 21 लाख रुपये |
ऑडी | ई ट्रोन | 520 किमी | 1.5 करोड़ रुपये |
बाइक (Bike)
कंपनी | मॉडल | रेंज | कीमत |
अथर | 450X | 116 किमी | 1.30-1.50 लाख रुपये |
बजाज | चेतक EV | 95 किमी | 1.0-1.20 लाख रुपये |
हीरो | ऑपटिमा EV | 50 किमी | 45 हजार रुपये |
TVS | आई क्यूब EV | 75 किमी | 1.10 लाख रुपये |
बेस्ट सोल्युशन
विस्तारित खरीद प्रोत्साहन सड़क पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि करने में मदद कर सकते हैं। वर्तमान में इस्तेमाल किये गए EV खरीदने के लिए कुछ सब्सीडी उपलब्ध हैं और उन लोगों के लिए नहीं जो अपनी कारों को पट्टे पर देते हैं। कम और मध्यम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए नए वित्तपोषण कार्यक्रम बनाना जो EV खरीदना चाहते हैं, एक अच्छा विकल्प है।
उन ड्राइवरों को विशेष प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।जो अधिकांश ड्राइवरों की तुलना में सड़क पर अधिक समय बिताते हैं। इस तरह के समर्थन के बिना ये ड्राइवर नए EV के लिए महंगी भुगतान योजनाओं के लिए मजबूर हो सकते हैं क्योंकि कैलिफोर्निया जैसे राज्यों ने सड़क पर सभी के लिए इलेक्ट्रिक कारों के लिए अनिवार्य कर दिया है। कैलिफोर्निया ने अगले 10 वर्षों में सड़कों पर 90% इलेक्ट्रिक वाहनों के होने की योजना प्रारंभ कर दी है।
इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य
तकनीकी प्रगति
इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीक तेजी से विकसित हो रही है। बैटरी की क्षमता, चार्जिंग गति, और मोटर दक्षता में सुधार हो रहा है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन अधिक व्यावहारिक और सुलभ होते जा रहे हैं। वायरलेस चार्जिंग, स्वायत्त ड्राइविंग, और सौर पैनल जैसी नई तकनीकों का विकास भी इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य को और अधिक आकर्षक बना रहा है।
वैश्विक दृष्टिकोण
दुनिया भर के देशों ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। यूरोप, चीन, और अमेरिका जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही हैं और पारंपरिक वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही हैं। भारत में भी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास और अपनाने के लिए कई नीतियों को लागू किया है।
चुनौतियों का समाधान
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार, बैटरी की उम्र और पुनर्नवीनीकरण की चुनौतियों का समाधान, और लागत को कम करना इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक अपनाने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। सरकारों, उद्योगों, और अनुसंधान संगठनों को मिलकर इन चुनौतियों का समाधान करना होगा।
निष्कर्ष
इलेक्ट्रिक वाहन भविष्य की परिवहन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि दीर्घकालिक रूप से आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती जा रही है, इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता और उनका उपयोग बढ़ता जा रहा है। इन वाहनों का भविष्य उज्जवल है, और वे एक स्वच्छ, हरित, और अधिक स्थायी दुनिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
आशा करते हैं इलेक्ट्रिक वाहन क्या है। What is Electric Vehicle? यह आपको समझ आ गया होगा।
शानदार
Thank you
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