FAME 2 Subsidy

FAME 2 Subsidy : फेम-2 सब्सिडी कम होने के बाद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग हो रही है धीमी

FAME 2 Subsidy : “FAME” का मतलब हो सकता है “Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles” होता है, जो कि भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रमुख पहल है। यह पहल 2015 में शुरू की गई थी और उसका मुख्य उद्देश्य था कि भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के अपनी पूर्वाधिकृतता और निर्माण को बढ़ावा दिया जाए।

इस पहल के अंतर्गत, सरकार ने विभिन्न प्रकार के उद्यमों और व्यापारिक स्थापनाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर अनुदान प्रदान किया है। इसके अलावा, यह पहल बैटरी स्वतंत्रता, प्रौद्योगिकी विकास और पर्यावरणीय उन्नति को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य रखती है।

अंत में, यह पहल इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय उद्योग को नवाचारित और पर्यावरण सहित यातायात के प्रति आकर्षित करने का एक प्रमुख कदम है।

 

FAME 2 Subsidy क्या है?

“FAME 2” (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles 2) एक सरकारी योजना है जो भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की अधिक से अधिक अपनाने और उत्पादन को प्रोत्साहित करना है, जो पर्यावरण से अधिक प्रिय और स्वच्छ आवाज उत्पन्न करते हैं। “FAME 2 Subsidy” योजना 1 अप्रैल 2019 से लागू हो गई थी और 31 मार्च 2022 तक चली।

इस योजना के तहत, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की सब्सिडी, रिबेट और वित्तीय सहायता प्रदान की। यह सहायता निम्नलिखित प्रकार से दी गई:

1. सब्सिडी वर्गीकरण: विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों (जैसे कि इलेक्ट्रिक कार, इलेक्ट्रिक स्कूटर, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन आदि) के लिए सब्सिडी की वर्गीकरण की गई।

2. बैटरी स्वापिंग स्टेशन: बैटरी स्वापिंग स्टेशन की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया गया, ताकि बैटरी चार्ज की तुलना में जल्दी से बदल सकें और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने की सुविधा मिल सके।

3. पब्लिक चार्जिंग स्टेशन्स: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पब्लिक चार्जिंग स्टेशन्स की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया गया ताकि वाहन उपयुक्त चार्जिंग स्टेशन पर चार्ज कर सकें।

4. रिसर्च और डेवलपमेंट: इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के क्षेत्र में अनुसंधान और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई।

इस तरह, “FAME 2 Subsidy” योजना ने इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने का प्रयास किया और स्वच्छ और निर्मल आवाज यातायात को प्रोत्साहित किया।

 

 

FAME 2 Subsidy में कटौती से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग धीमी हो रही है

FAME 2 Subsidy में कटौती से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग धीमी हो रही है और निर्माताओं को अब अनुसंधान एवं विकास और इनोवेशन के जरिए कीमत में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

 

इसमें कहा गया है कि दोपहिया वाहनों के लिए मध्यम अवधि की बिक्री ट्रेजेक्ट्री (प्रक्षेपवक्र), जिसमें ई-दोपहिया वाहन भी शामिल हैं, मामूली रहने की उम्मीद है, जो अनिश्चितताओं से युक्त है और कई कारकों से प्रेरित है। केयर रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दोपहिया वाहनों के कोर सेगमेंट, विशेष रूप से मोटरसाइकिलों में 75 सीसी – 110 सीसी रेंज और स्कूटरों में 75 सीसी – 125 सीसी रेंज में वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 22 तक बिक्री की मात्रा में मामूली गिरावट देखी गई है। FY23 में रिकवरी देखी गई।

इसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा कुछ ओरिजिनल इक्यूप्मेंट मैन्युफेक्चर्र (ओईएम) के लिए FAME सब्सिडी रोकने के कारण वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी काफी गिरावट आई है।

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इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी को 15,000 रुपये प्रति किलोवाट से घटाकर 10,000 रुपये प्रति किलोवाट और एक्स-फैक्ट्री कीमत को 40 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने से दोपहिया वाहनों की बिक्री में अनिश्चितता बढ़ गई है।

इसमें कहा गया है, “इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के निर्माताओं को अब सरकारी सब्सिडी के बजाय अनुसंधान एवं विकास और इनोवेशन के जरिए कीमतों में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।”

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अप्रैल 2015 में, केंद्र सरकार ने 75 करोड़ रुपये के बजट के साथ ईवी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए FAME सब्सिडी योजना शुरू की थी।

इस योजना में वाहन खरीदारों के लिए खरीद लागत को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के डीलरों को नकद सब्सिडी दी गई। बाद में योजना के विस्तार के साथ वार्षिक आधार पर बजटीय आवंटन बढ़ाया गया, वित्त वर्ष 2019 तक, जब बजट 145 करोड़ रुपये था।

 

अप्रैल 2020 से, इसे FAME II योजना से बदल दिया गया, जिससे बजट में 10,000 करोड़ रुपये की भारी बढ़ोतरी हुई और शुरुआत में यह 31 मार्च, 2022 तक तीन साल के लिए लागू थी। इसे जून 2021 में अगले दो वर्षों के लिए मार्च 31, 2024 तक बढ़ा दिया गया था।

जून 2021 में, सरकार ने ईवी पर सब्सिडी को 10,000 रुपये प्रति kwh से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति kwh कर दिया। साथ ही अधिकतम सीमा वाहन की एक्स-फैक्टरी कीमत को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई।

 

FAME योजना के तहत उपलब्ध सब्सिडी के अलावा, विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने खुद के इंसेंटिव भी पेश किए जैसे प्रति किलोवाट बैटरी क्षमता पर सब्सिडी राशि, और रोड टैक्स के भुगतान पर छूट या फुल छूट।

 

FAME 2 Subsidy कम होने के बाद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग धीमी होने के कारण:

 

1. बदलते सब्सिडी नियम: अगर सरकार ने FAME 2 Subsidyमें कटौती की है या सब्सिडी के नियमों में परिवर्तन किया है, तो यह उपभोक्ताओं के इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के रुचि को प्रभावित कर सकता है।

2. वाहन मूल्य: इलेक्ट्रिक वाहनों का मूल्य अक्सर पेट्रोल और डीजल संचालित वाहनों के मुकाबले अधिक होता है। अगर वाहनों की कीमत में संकुचन होती है, तो यह उपभोक्ताओं के रुचि को प्रभावित कर सकता है।

3. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त चार्जिंग स्टेशन की कमी भी वाहनों की खरीदारी में बाधा डाल सकती है।

4. बैटरी तकनीक: बैटरी तकनीक और प्रदर्शन पर भी अभियांत्रिकी विकास की आवश्यकता होती है। यदि विकास में विलंब होता है, तो यह खरीदारी को प्रभावित कर सकता है।

5. वित्तीय असुरक्षा: कई बार लोग वित्तीय असुरक्षा के कारण बड़े निवेशों से बच सकते हैं जो इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी में आवश्यक होते हैं।

6. सब्सिडी समाप्ति: यदि सब्सिडी की अवधि समाप्त हो जाती है, तो उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी करना कठिन हो सकता है।

Bihar EV Subsidy Policy 2022

इन सभी कारणों के संयोजन से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग में धीमापन हो सकता है। सरकार और वाहन उत्पादकों को इन मुद्दों पर काम करके उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक और स्थायी विकल्प प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता होती है।

 

इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए उपाय :

यदि आप इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए उपाय ढूंढ रहे हैं, तो निम्नलिखित उपायों का विचार कर सकते हैं:

1. सब्सिडी और रिबेट्स की वृद्धि: सरकार आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी और रिबेट्स की मात्रा में वृद्धि कर सकती है। यह वाहनों की खरीदारी को और भी आकर्षक बना सकता है।

2. इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त चार्जिंग स्टेशन्स की स्थापना में निवेश करने से उपयोगकर्ताओं को वाहनों को चार्ज करने में आसानी होगी।

3. जागरूकता और शिक्षा: लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए कैंपेन और शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।

4. अधिकतम वाहनों की विकल्पों की उपलब्धता: अधिक विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की उपलब्धता उपभोक्ताओं को विकल्पों की अधिकतम वैशिष्ट्यकरण की सुविधा प्रदान कर सकती है।

5. लोन और वित्तीय सहायता: इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खरीदारी के लिए वित्तीय सहायता और लोन की प्रदान करने से व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को आरामदायक विकल्प मिल सकते हैं।

6. रिसर्च और डेवलपमेंट: नई और प्रभावी बैटरी तकनीक और स्वैपिंग स्टेशन्स की खोज और विकास में निवेश करने से इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रदर्शन और उपयोगिता में सुधार संभव है।

7. अनुसंधान और अभियांत्रिकी विकास: नई तकनीकों के विकास और इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रदर्शन की बेहतरी के लिए अनुसंधान और अभियांत्रिकी विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

 

ये उपाय साथ मिलकर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग में वृद्धि करने में मदद कर सकते हैं।

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